06 March 2014

अनपेक्ष,शुचिर्दक्ष,उदसिनो गत्व्यथ,सर्वार्म्भ,परित्यागी यो मद भक्त समेप्रिय। --શ્રીમદ ભગવત ગીતા (16/12)

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