31 December 2011

मै सुखी था अपने ही आप मै,

कुछ मदहोशी तो थी बाग मै.

शेरो मै क्यु जहा बसा लीया?

खुद मै तुमको समा लीया.

कुछ हो चला हु,मै ग्यानी बन चला हु.

बोजा कोइ ले कर चला हुं,

मैतो ग्य़ानी बन चला हुं.


बडा होने की जल्दबाजी मै,

हा नंगे पेरो पर चला हुं.


वैसे तो दरिया हुं जरा सा,

खुद मै नाला भर चला हुं.


औरो को ये राह दिखाने मै.

ठीकाना खुद भूल चला हुं.


है नकद मेरे निभाने को,

और सबसे उधार कर चला हुं

26 December 2011

तुम कीस खेत की मूली?

क्या अमीरी? क्या गरीबी?,

सब जाता रहा है,जायेगा.

तुम कीस खेत की मूली?

तुम्हारा भी बारा आयेगा.

रात के बाद दिन आना है,

दिन आता है,आता जायेगा.
तु पूरी जोर से भी चील्ला.
तुजसे कभी ना पूछा जायेगा.
हमने दिल को दील दीया,

उध्हार मांगा कुछ ना दीया.

कागज के फुल ओर कश्ती,
पानी से दूर रखा तो,

पानी खूब दीया.

फीर कहा इतना तो दीया,
पर तुने उसका क्या कीया?.

18 December 2011

हमको भी जीत मिल रही थी !थोडी लडखडाइ सी।थोडी गैर सी।

फीर हमने सोचा की इससे अच्छी तो हार जो क़ोइ सहारे के बीना चल सके।
दौड सके, उड सके।

क्यूकि जीत भरी हुइ होती है। और हार खाली ।

खाली चीज ही आसमान मै सफर करती है। उड सकती है।

अगर आप ऐसी जीत लाये हो तो ..........बढीया है.............बेशक।

11 December 2011

ख्वाइशो के घरो मे आशिया बनाने चला था.

मे खुद को खुद मे से कही हटाने चला था.

खुशी और गम का चक्कर गहरा है दोस्तो,

सूके रेगीस्तान मे खुद को डुबाने चला था.

कुछ् तो कीया नही रखी तमन्ना हजारो,

खुल के बारीश मे खुद को बचाने चला था

06 December 2011

જીંદગી કી હસીનિયા પરછાઇયા બન ગઇ?

તબ જાકર વક્ત ને હમે પૂછા...............

Hi,

How r u?

હમને ભી ખુલ કર જવાબ દિયા.

m f9.