अपना एक ही दोस्त खुदा होता है,
पत्ता कभी पेड़ो से जुदा होता है।
पत्तेे पेड़ो को नही देख पाते होंगे,
शायद खुद को यकीं दिलाते होंगे।
तूफ़ान वसंत में आते नहीं,
पेड़ों को पत्तो के संग हिलाते नही।
पतझडो का मौसम आयेगा,
वो पत्तो के गिरने का शोर मचाएगा ।
सूखी पत्तियों को बस रोंदा जाएगा,
क्या यही जीवनचक्र कहेलाएगा?
-मनन भट्ट
पत्ता कभी पेड़ो से जुदा होता है।
पत्तेे पेड़ो को नही देख पाते होंगे,
शायद खुद को यकीं दिलाते होंगे।
तूफ़ान वसंत में आते नहीं,
पेड़ों को पत्तो के संग हिलाते नही।
पतझडो का मौसम आयेगा,
वो पत्तो के गिरने का शोर मचाएगा ।
सूखी पत्तियों को बस रोंदा जाएगा,
क्या यही जीवनचक्र कहेलाएगा?
-मनन भट्ट