08 June 2012


·         थोडी वैज्ञानिक बाते जल के विषय मे...............
·जल अथवा पानी=  H2O हाइड्रोजन(H) और ओक्सिजन(O) से बना है।
·         आधूनिक विज्ञान का एसा कहना है कि मानवीय शरीर हाइड्रोजन,ओक्सिजन, नाइट्रोजन,कार्बन  ,केल्शीयम और फोसफरस से बना है।
शास्त्रो के अनुसार अपना शरीर पंच महाभूत तत्वो से बना है, और इन मे भी जल तत्व का अपना अनूठा महत्व है.
विज्ञान कहेता है की हमारे शरीर का 90% पानी है. अत: इश्वर(सर्वोच्च) प्राप्ति मे  जरूरी एसे शरीर को समजना जरूरी व अनिवार्य है.
नदी जब अपनी शरूआत करती है,तब उसने महा सागर मै जाने का निर्णय नही लीया होता.न तो उसकी आकांक्षा होती है.....बस वो तो बहती जाती है. जमीन से अपना संपर्क बना कर,अपनी प्रवाहीतता को बरकरार रखके और अपनी संवेदन शीलता के दम पर।
बस बहती जाती है,
प्रक्रुति खुद ही उसके सफर को दिशा देती है। और फीर वेग और इससे गति उर्जा और फिर एक दिन बडे सन्मान के साथ सफर नदी का महासागर के स्वरूप मे पुर्ण होता है।
जरा गहराइ से सोचे तो इस के पीछे प्रक्रुति  का अपना ही भीतरी  कार्य है. जो जिसका अंग है उसे वह उसके विराट रूप से मिलन करवाती  है।
इसका सूक्ष्म अर्थ भी एसा नही की  हम निष्क्रियता का भाव रखे।
जमीन से जुडे रहना,अपनी संवेदनशीलता को छोटे बच्चे की भति बनाये रखना और निरंतर बहना एसे और एसे कही  यत्नो के कारण ही नदी प्रक्रुति का स्पर्श पाती है और विराट की सहभागी हो पाती है।
बहना है हमे नदी
तेरी तरह होश से।
क्युकि बेहोश बन
मुरदे डहा करते है
और हम फीर भी
ज़िंदा है,होश पूर्ण।