31 December 2011

कुछ हो चला हु,मै ग्यानी बन चला हु.

बोजा कोइ ले कर चला हुं,

मैतो ग्य़ानी बन चला हुं.


बडा होने की जल्दबाजी मै,

हा नंगे पेरो पर चला हुं.


वैसे तो दरिया हुं जरा सा,

खुद मै नाला भर चला हुं.


औरो को ये राह दिखाने मै.

ठीकाना खुद भूल चला हुं.


है नकद मेरे निभाने को,

और सबसे उधार कर चला हुं

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