18 December 2011

हमको भी जीत मिल रही थी !थोडी लडखडाइ सी।थोडी गैर सी।

फीर हमने सोचा की इससे अच्छी तो हार जो क़ोइ सहारे के बीना चल सके।
दौड सके, उड सके।

क्यूकि जीत भरी हुइ होती है। और हार खाली ।

खाली चीज ही आसमान मै सफर करती है। उड सकती है।

अगर आप ऐसी जीत लाये हो तो ..........बढीया है.............बेशक।

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